Dr. Shivani's Coverage in Navbharat Times

डेट के इंतजार में
55.2% लड़कियां !
55 फीसदी से ज्यादा लड़कियों के पीरियड्स में
अनियमितता, करीब 6 हज़ार लड़कियों के बीच हुआ सर्वे

55.6%
लड़कियों ने माना पीरियड्स से रोजमर्रा की ज़िंदगी डिस्टर्ब होती हैI
53.2%
पीरियड पेन की वजह से लड़कियां स्कूल, कॉलेज या ऑफिस मिस करती हैI
18% ने कहा, उनके आर्गेनाइजेशन में है पीरियड लीव पालिसी
83.1% लड़कियों ने माना अब अपने परिवार से पीरियड्स पर बात करती हैंI
63.7% लड़कियां परिवार के पुरुषों या दोस्तों से इस मुद्दे पर बात करती हैI


आंटी जी, लड़की की शादी लेट हो तो चलेगा, लेकिन पीरियड्स लेट हो तो चिंता की बात हैI हाल में ही महिलाओं पर बने एक वीडियो में एक्ट्रेस रानी मुखर्जी यह संदेश देती दिख रही थींI वैसे यह वाक़ई चिंता की बात है क्यूंकि 55.2 फीसदी लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हैI हाल में ही सर्वे से यह बात सामने आयी हैI दरअसल लड़कियों में पीरियड्स को लेकर कैसी समस्याएं सामने रही है और इस बारे में कितनी जागरूक है, इसे लेकर ही यह सर्वे हुआ था I एक संस्था विटामिन स्त्री की ओर से किये गए इस सर्वे के लिए 5 हज़ार 986 लड़कियों से इस मुद्दे से जुड़े सवाल किये गए थेI 18 से 24 साल की उम्र की लड़कियो के बीच हुए सर्वे में अधिकतर ने माना कि उन्होंने अनियमित पीरियड्स की समस्या से निपटने में किसी की मदद लेने के लिए लंबा इंतज़ार किया है, कई मामलों में तो कुछ महीनों से लेकर सालभर तकI

पीरियड्स की वजह से डिस्टर्ब रहती हैं।

13 साल की उम्र में शुरू हुए निधि मिश्रा के पीरियड कभी रेगुलर नहीं थेI  तब स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती थी और अब ऑफिस के कम से कम एक दिन के काम का नुकसान होता है l दर्द और अनिमियत पीरियड्स से परेशान होकर निधि ने हाल में ही एक गायनॉकॉलजिस्ट से ट्रीटमेंट लिया हैI  आकांक्षा को भी ऐसी ही समस्या से जूझना पड़ रहा था l उनके पीरियड्स शुरुआती कुछ सालो तक तो नियमित थे, लेकिन वजन पर कंट्रोल नहीं रहा, तो पीरियड्स भी अनियमित हो गए l आकांक्षा बताती हैं कि डॉक्टर के पास गयी तो पता चला की पीसीओडी की समस्या है l गायनॉकॉलजिस्ट डॉ. शिवानी गौड़ इंडियन सोसाइटी ऑफ़ असिस्टेड रिप्रॉडक्टिव की सचिव है, वह कहती है, “वैसे तो पीरियड की शुरुआत होने के बाद से एक से दो साल में ये रेगुलर हो जाता है, अगर नहीं हो पा रहा तो उन लोगो की लाइफस्टाइल में कुछ दिक्कत होगी l या तो उनका वजन ज़्यादा है यानी ओबेसिटी है l इसकी वजह से ओवरी में सिस्ट बन जाता है और पीरियड अनियमित हो जाते है l इसकी वजह जंक फ़ूड खाना, एक्सरसाइज ना करना, सुस्त जिंदगी बिताना और वजन का बढ़ते जाना है l” पीरियड पेन के बारे में वह कहती है की अगर लड़कियों को लगता है की उन्हें दुसरो से ज़्यादा दर्द हो रहा है, तो हो सकता है यह उनके लिए नया अनुभव है, इसलिए ऐसा लगता हो l अगर लम्बे समय तक बहुत तेज दर्द होता है तो उसे इगनोर नहीं करना चाहिए l यह एंडोमेट्रिओसिस बीमारी की वजह से हो सकता है l इसलिए चेकअप ज़रूर कराएं I  सामान्य मामलो में लड़कियां पेनकिलर ले सकती है l इस दौरान अधिकतर लड़कियां कहती है की उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ता है, क्योंकि स्कूल में पड़ने वाली लड़कियों को स्पोर्ट्स में जाना होता है, स्विमिंग होती है या किसी को एनिमिक होने की वजह से कमजोरी लगती होगी l हमने स्कूलों का सर्वे किया था तो पता चला था की स्कूलों में पड़ने वाली 50 फीसदी से ज़्यादा लड़कियां एनिमिक है l उन्हें दर्द भी ज़्यादा होता हैं l थकान लगती है, वे सिर्फ आराम करना चाहती है l इसलिए इस समस्या को ख़त्म करने के लिए उन्हें आयरन सप्लिमेंट दिया जाता है l इलाज में हार्मोंस दिए जाने के बारे में वह कहती हैं, “जिन लड़कियों में पीएमएस के लक्षण है, उन्हें विटामिन सप्लिमेंट दिए जाते है, हांलाकि पहले हार्मोंस दिए जाते थे लेकिन वह सेफ नहीं है, इसलिए यूरोपियन सोसाइटी भी कह चुकी है कि पीएमएस या पीसीओडी की समस्या होने पर कम उम्र में हार्मोंस नहीं देने चाहिए क्योंकि इससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है l लड़कियों की लंबाई भी कम रह सकती है l

वैसे तो पीरियड की शुरुआत होने के बाद एक से दो साल में ये रेगुलर हो जाता हैI अगर नहीं हो रहा है, तो लाइफस्टाइल में कुछ दिक्कत होगीI या तो उनका वज़न ज्यादा है यानि ओबेसिटी हैI इसकी वजह से ओवरी में सिस्ट बन जाता है और पीरियड अनियमित हो जाते हैंI

       - डॉ. शिवानी गौड, गायनॉकॉलजिस्ट
मेरे पीरियड्स शुरुआती कुछ सालों तक तो नियमित थे, लेकिन वज़न पर कंट्रोल नहीं रहा तो पीरियड्स भी अनियमित हो गएI कुछ वक़्त तक तो मैं इसे इग्नोर करती रहीI जब मैं डॉक्टर के पास गयी तो पता चला कि मुझे पीसीओडी की समस्या हैI

                                                              - आकांक्षा

समस्या होने पर भी डॉक्टर के पास
जाने से आज भी पर 
डॉ. शिवानी कहती हैं कि आजकल स्कूलों में लड़कियों को पीरियड्स से जुड़ी जानकारी दी जाती है, तो पहले की तरह उनके मन में तो टैबू नहीं है लेकिन कुछ परिवार बहुत पुराने विचारो वाले हैंI वे पढ़े-लिखे हों या नहीं, लेकिन ओल्ड फैशन्ड हो सकते हैंI वह बताती हैं कि पीएमएस सिर्फ 20 फीसदी लड़कियों में ही देखा जाता हैI हालांकि सर्वे में बहुत ज्यादा आंकड़े बताये गए हैं लेकिन यह भी सच है कि पीरियड्स के दौरान अगर कोई भी परेशानी होती है तो लड़कियां अब भी डॉक्टर के पास नहीं जाती हैंI वहीं, पीरियड्स के दौरान कौन सा प्रॉडक्ट इस्तेमाल करना है यह अब भी 23.9 फीसदी लड़कियों को पता नहीं होताI सर्वे में सिर्फ 76.1 फीसदी लड़कियों ने माना कि उन्हें पता है कि कौन सा प्रोडक्ट इस्तेमाल करना हैI इस बारे में डॉ. शिवानी कहती है, ‘आजकल गायनॉकॉलजिस्ट की सोसायटी एनवायरनमेंट फ्रेंडली होने की वजह से पैड्स की जगह मेन्सट्रुअल कप इस्तेमाल करने की सलाह देते हैंI ये शॉपिंग वेबसाइट्स पर आसानी से मिलते हैं और इस्तेमाल करने में भी आसान होते हैंI वैसे कुछ बाज़ारों में मेन्सट्रुअल कपों की बिक्री शुरू हो गयी हैंI


Dr Shivani Sachdev Gour


No comments:

Post a Comment

How to Prepare for Pregnancy After Miscarriage: A Comprehensive Guide

Experiencing a miscarriage can be a devastating and emotionally trying event for any couple. It is a loss that often brings about a wave o...