Faridabad Obstetrics & Gynecological Society FOGS CME - 4th March, 2020



We are pleased to invite you to our next FOGS CME in collaboration with Sun Pharma – INCA Division on 4th March (Wednesday) 2020. Speaker & Moderator – Dr. Shivani Sachdev Gour.


Faridabad Obstetrics & Gynecological Society FOGS CME - 4th March, 2020

‘पीरियड्स में कोई काला जादू नहीं होता’


गयनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिवानी सचदेव गौर इंडियन सोसाइटी ऑफ़ असिस्टेंड रिप्रेजेन्टेटिव की सचिव है, वो कहती है, "यह घिनौनी घटना है" ये लोग किस मानसिकता के साथ रह रहे है? उन दिनों में कुछ भी गन्दा नहीं होता लेकिन पीरियड्स को लेकर टैबू सदियों से हर समाज में रहा है| बल्कि यह कई देशो में एक सामान रूप से जारी है. लड़कियों के लिए इसे शर्मनाक बना दिया गया है, उन्हें लगता है की अगर कोई पीरियड्स का कपडा देख लेगा तो गलत होगा| हाईजीन होने से कितनी ही लड़कियों को इन्फेक्शन हो जाता है| मेडिकली देखे तो यूट्रस की लाइनिंग ब्रेकडाउन हो जाती है, और ब्लड बाहर जाता है| यह 10-14 साल में सुरु होता है और हर लड़की को करीब 5-7 दिन इससे गुजरना पड़ता है
इसमें कोई काला जादू नहीं है, इससे कोई डरने जी जरुरत नहीं है की उन्हें किसी कमरे में बंद कर दिया जाये| अगर लोग उनको इसलिए अलग रखते है की उनको आराम दिया जाये तो यह सोच लड़कियों पैर बहुत भारी पड़ रहा है क्योकि इसमें पॉजिटिव बहुत कम हो रहा है|
लड़कियों को यह बताया जाना चाहिए की अपने प्राइवेट पार्ट्स की सफाई रखे, हाईजीन का ख्याल रखे और आम दिनों की तरह नहाये और साबुन का इस्तेमाल करे|


महिलाओं में बढ़ रही अंडाणुओं के कम होने की समस्या


डाँ. नुपुर गर्ग से निःसन्तान दम्पत्तियों ने ली सलाह

प्रभात ब्योरो - बुलन्दशहर
जिनके बच्चे नही होते हैं, उनकी समाज परिवार में क्या स्थिति होती है वो वहीं बयान कर सकता है, जो इस पीड़ा से गुजरता हैं। यही कारण है कि लोग गुमराह होकर टोने टोटके फर्जी बाबाओं तांत्रिको के चक्कर में पड़कर अपना जीवन तक बर्बाद कर देते हैं। कई बार अपनी कीमती सम्पत्तियों से भी हाथ धो बैठते हैं। ऐसी निसंतान दंपत्तियों को वैज्ञानिक तरीके से उनकी परेशानी का समाधान लेकर बुलन्दशहर में डाँ नुपुर गर्ग आई, जिनसे जानकारी लेने वालों में काफी उत्साह देखा गया। वह एक स्थानीय होटल में एक शिविर में हिस्सा लेने आयीं थीं, जिसमें वह निशुल्क परामर्श दे रही थीं।

एससीआई आइवीएफ सेन्टर द्वारा बुलन्दशहर में  आयोजित शिविर में निसंतान दंपत्तियों की निशुल्क जांच की गई कैम्प में 45 निसंतान दंपत्तियों की जांच फ्री में की गई। कैम्प में दस पुरुषों में शुक्राणु की कमी पाई गई। इस अवसर पर डाँ नुपुर गर्ग ने बताया कि वर्तमान में पचास फीसदी पुरुष ऐसे हैं , जिनके शुक्राणु या तो बहुत कम हैं या हैं ही नहीं। सम्पूर्ण विश्व में यह चिंता का विषय है।

इस शिविर में जिन लोगों की जांच की गई उनमें पचास फीसदी में शुक्राणुओंं और अण्डाणुओं की कमी पाई गईं 20 फीसदी पुरुष ऐसे थे जिनमें शुक्राणु थे ही नहीं। ऐसे लोगों में बच्चा पैदा करने की क्षमता नगण्य होती है डाँ नुपुर गर्ग ने बताया कि यह समस्या केवल बुलन्दशहर में ही नहीं वरना पूरे विश्व की है

शुक्राणुओं अण्डाणुओं की लगातार घटती हुई संख्या चिंता का विषय बनी हुई है। पहले जि पुरुषों के स्पर्म में दो करोड़ शुक्राणु होते थे, उनकों स्वस्थ्य कहा जाता था। अब यह संख्या डेढ़ करोड़ कर दी गई है। डाँ नुपुर गर्ग ने बताया कि एससीआई, आइवीएफ  नोएडा आठ वर्षों से विश्व के पचपन देशों में पाँच हजार से अधिक बच्चे आइवीएफ तकनीकी द्वारा जन्म दिला चुका है। अब यह तकनीक सस्ती और सुलभ हो गई हैं।


How to Prepare for Pregnancy After Miscarriage: A Comprehensive Guide

Experiencing a miscarriage can be a devastating and emotionally trying event for any couple. It is a loss that often brings about a wave o...