आज वर्ल्ड आईवीएफ डे के अवसर पर हमारे साथ है खास मेहमान डॉक्टर शिवानी सचदेव गौर (गायनोकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट एस.सी.आई इंटरनेशनल हॉस्पिटल दिल्ली.
रेडियो जॉकी: डॉक्टर, आईवीएफ की जरूरत क्यों होती है, और इसे किस किस को फायदा हो सकता है?
डॉक्टर शिवानी: आईपीएस करने से पहले आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बांझपन का उपचार के लिए अन्य रूपों के ट्रीटमेंट है या तो वो काम नहीं कर रहे हैं या काम करने का चांस बहुत कम है। जहाँ अन्य बांझपन के उपचार विफल हो जाते हैं, वहाँ भी आईवीएफ काम करता है। कुछ मरीज आईवीएफ से पहले प्रजनन उपचार की एक श्रृंखला से गुजरते हैं। जैसे फेटिलिटी की दवाइया, hysteroscopy, laparoscopy, insemination का इलाज. पर कुछ कंडीशंस ऐसे होते है... जिसमें आईवीएफ सबसे पहला ऑप्शन होता हैं। पुरुष में अंडे की क्वालिटी कमजोर होना, साथ ही जैसे फैलोपियन ट्यूब की क्षति, जैसे गंभीर पुरुष बाजपन और बहुत कम ओवेरियन रिजर्व होना प्रमुख कारण हैं। महिला की उम्र चालीस से अधिक होना साथ ही कुछ महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी देरी करना चाहती हैं, उसके लिए एग फ्रीजिंग कराना चाहती है, उनके लिए आईवीएफ एक बेहतर उपाय है।
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